जयपुर। मानसरोवर मेट्रो स्टेशन से रीको आरओबी तक जयपुर विकास प्राधिकरण ने जिस नई चौड़ी सड़क के निर्माण का शिलान्यास बड़े जश्न के साथ मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के हाथों करवाया, वही सड़क आज पानी-पानी है। विकास की पट्टिका रोड के बीचों-बीच शर्मिंदा सी खड़ी है और आमजन को बारिश का मौसम तैराक बनने को मजबूर कर रहा है।
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पानी में डूबी विकास की पट्टिका
सड़क पर गड्ढे, छापे और जगह-जगह खुदाई– मानो प्रशासन ने ‘सपनों की सड़क’ की जगह ‘स्विमिंग पूल’ बनाने की योजना बना ली हो। शिलान्यास की तारीख याद दिलाने वाली पट्टिका अब स्थानीय जनता की व्यथा का “म्यूजियम पीस” बन गई है, क्योंकि उसे देखने के लिए लोगों को जूते उतारकर पानी में घुसना पड़ेगा।
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जनता का दर्द – विकास दिखा पट्टिका में
लोगों का कहना है कि सत्ता ने शिलान्यास के कुल घंटे तो गिन लिए, लेकिन सड़क की उम्र कुछ दिन भी नहीं टिक सकी। कोई पूछता है – “यह पट्टिका देखने आएं या सड़क पर नाव चलाने?” किसी ने मजाक में कहा, “अगर प्रशासन और नेता चाहें तो पट्टिका के पास वोटों के लिए फिशिंग प्रतियोगिता भी आयोजित हो सकती है!”
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सवाल बड़ा सीधा है – क्या रोड बनने के बाद ही लाइन डालने का आईडिया आया? पानी में खड़े-खड़े लोग सोचते हैं, “कहीं अगले शिलान्यास की पट्टिका ‘यहां फिर खुदाई होगी’ के लिए तो नहीं लगाई जाएगी?”
जयपुर की इस सड़क पर विकास की असली तस्वीर पट्टिका में कैद है– प्रशासन की योजनाएं कागज पर, आमजन परेशान! फिलहाल रोड पर चलना मतलब, सफर नहीं – “डाइविंग” का अनुभव पक्का।






