जयपुर वेस्ट में क्राइम की दुनिया में आज ऐसी हलचल मची, जैसे पूरी टोंक रात भर जाग रही हो। एनडीपीएस (नशीली दवाओं के मामलों) में फरार चल रहे दो ‘मास्टरमाइंड’ — जीतराम चौधरी और कालूराम गुर्जर उर्फ राकेश — पुलिस की रडार पर इतने दिनों से थे, कि सोशल मीडिया तक इनकी कहानी गुमनाम थी। लेकिन आज स्पेशल टीम की ‘ख़ुफिया रेड’ ने दोनों को एक झटके में धर दबोचा!
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सूत्रों के मुताबिक, जीतराम चौधरी (22) और कालूराम गुर्जर (25) टोंक के अंदरूनी गाँव में अपना ‘ड्रग नेटवर्क’ चला रहे थे। दोनों पर इनाम घोषित था, लेकिन इनका तरीका था — हर बार लोकेशन बदलना, मोबाइल फोन बंद रखना, सोशली पूरी तरह गायब रहना। पुलिस के पास इनके ताजा फोटो तक नहीं थे, टीम ने गुप्त वेश संभाल कर गाँव में घुसने की रणनीति बनाई।
बगरु और श्यामनगर थाना की टीम, कड़ी प्लानिंग के बाद, कंधों पर पहचान छुपाए, रात के वक्त राजपुरा बास और मलिकपुर की गलियों में उतर गई। गली के छोर पर अचानक फुर्तीली हलचल हुई, पहले जीतराम और एक घंटे बाद कालूराम पकड़ा गया। जाँच में खुलासा — दोनों ने नशीली दवाओं की सप्लाई की नई ‘रूटिंग’ खोज रखी थी, कब किस गली में, किस ट्रैक्टर में माल पहुंचाना है — सब तय था!
पुलिस सूत्र बता रहे हैं — पूछताछ में कई और वांछितों के नाम निकलने वाले हैं। टोंक के ग्रामीण इलाके में एनडीपीएस पर कार्रवाई पहली बार इतना रोमांचक हुई है — हर कोई अब पूछ रहा है, “अगला कौन?”
इस टीम की रणनीति और साहस को सलाम, जिसने गाँव की जड़ों से अपराध का जहरीला बीज उखाड़ फेंका। अब पूरा टोंक जागरूक है, और अपराधियों में डर यहाँ पहली बार दिखा!






