जयपुर। मानसरोवर जोन की गलियाँ आज भी गंदगी और अपव्यवस्था का मंजर पेश कर रही हैं, जबकि डीएलबी ने साफ आदेश दिया है कि सफाई कर्मचारी केवल सफाई कार्यों में ही लगे रहेंगे, न कि दफ्तरों में उनके कामों में। लेकिन यह आदेश मानसरोवर जोन नगर निगम ग्रेटर के अधिकारियों के लिए बस एक दिखावा है।
सूत्र बताते हैं कि मानसरोवर जोन कार्यालय के अंदर 10 से 15 सफाई कर्मचारियों को अधिकारीयों जैसा काम सौंपा गया है। इसके अलावा पार्षद कार्यालयों के अंदर भी सफाई कर्मचारियों को उनके कार्यालयों के कामों के लिए ड्यूटी पर लगाया गया है। इस रवैये से जनता के साथ भद्दा मज़ाक हो रहा है और वे हर दिन बेवकूफ बनाए जा रहे हैं।
यहां का प्रशासन इतने आलसी और गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार में डूबा हुआ है कि सफाई कर्मचारी ऑफिस में अधिकारियों के काम संभालते नजर आ रहे हैं, जबकि अधिकारी खुद आराम फरमा रहे हैं। इस स्थिति ने एक गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है—जब जिम्मेदार अधिकारी ही अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं, तो जनता की सफाई की उम्मीदें आखिर किससे रखीं जाएं?
मनसरोवर जोन नगर निगम ग्रेटर का प्रशासन लगातार सफाई कर्मचारियों की कमी का बहाना बनाता रहा है, पर सच्चाई यह है कि कर्मचारियों की मौजूदगी के बावजूद वे उन्हें गलत जगह ऑफिस के कामों में लगा रहे हैं। इससे न केवल मूल सफाई कार्य प्रभावित हो रहा है बल्कि जनता के हक का हनन हो रहा है।
यह बेहूदगी उस समय और भी शर्मनाक लगती है जब प्रशासन को डीएलबी जैसे उच्चस्तरीय संस्था के आदेशों का पालन करना होता है, मगर मंत्रियों और जिम्मेदारों के नीचे भी यह माफियाओ जैसी हनक कायम है।
जब इस विषय में मानसरोवर जोन नगर निगम ग्रेटर के उपायुक्त लक्ष्मीकांत कटारा से बातचीत की गई, तो उन्होंने मामले की जांच और सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया। जनता को अब इंतजार है कि यह आश्वासन कब तक कार्रवाई में बदलेगा और कब तक प्रशासन अपनी जिम्मेदारी निभाना शुरू करेगा।






