जयपुर, 22 सितंबर। झालावाड़ जिले से लापता हुई 13 साल की बच्ची को लेकर एक सनसनीखेज परत खुली है। नाबालिग को अगवा कर गुजरात ले जाया जा रहा था जहां 25 वर्षीय युवक से जबरन विवाह कराने की योजना बनाई गई थी। लेकिन तीन जिलों – झालावाड़, जयपुर और जालोर पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने इस साजिश को विफल कर दिया।
अपहरण से लेकर गिरफ्तारी तक की कहानी
18 सितंबर की सुबह कक्षा 5 में पढ़ने वाली बच्ची स्कूल के लिए निकली लेकिन वापस घर नहीं लौटी। अगले दिन परिजनों की रिपोर्ट पर झालरापाटन थाने में मामला दर्ज हुआ। जांच में सामने आया कि जिस दिन बच्ची लापता हुई, उसी दिन ममता गुर्जर नामक एक महिला भी अचानक गायब हो गई। उसका मोबाइल फोन भी बंद मिला, जिससे पुलिस का शक और गहरा गया।
जयपुर में हुए पहले खुलासे
तकनीकी निगरानी और सूत्रों की मदद से पता चला कि ममता अपने प्रेमी माखन सिंह के साथ जयपुर में है। दोनों को गिरफ़्तार कर जब पुलिस ने पूछताछ की तो चौंकाने वाली जानकारियां सामने आईं। ममता ने कबूल किया कि उसने अपनी बहन के बेटों – धनराज और मोहन के साथ मिलकर बच्ची को गुजरात भेजा है।
जालोर पुलिस की ताबड़तोड़ कार्रवाई
सूचना मिलते ही जालोर पुलिस को सतर्क किया गया। सांचौर के पास अलर्ट लगा दिया गया और टीम ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए बच्ची को गुजरात की सीमा पार करने से पहले ही सुरक्षित दस्तयाब कर लिया। इसी दौरान धनराज और मोहन को भी पकड़ लिया गया।
पुलिस की सूची में अब चार आरोपी
- ममता गुर्जर पत्नी दिनेश (झालरापाटन निवासी)उसका प्रेमी
- माखन सिंह किराड़ (अकलेरा निवासी)बहन का बेटा
- धनराज गुर्जर (19)
- मोहन गुर्जर (25) – जिसके साथ शादी कराने की थी साजिश
चारों आरोपी इस समय पुलिस हिरासत में हैं और मामला बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, अपहरण व मानव तस्करी जैसे धाराओं में दर्ज किया गया है।पुलिस के लिए चुनौती, लेकिन फुर्ती से सुलझाया मामलाजिले के एसपी अमित कुमार के निर्देशन में बनी विशेष टीम ने अलग-अलग जिलों की पुलिस के साथ समन्वय करते हुए यह ऑपरेशन पूरा किया। महज़ 72 घंटों में नाबालिग को सुरक्षित घर पहुंचा देना पुलिस के लिए बड़ी उपलब्धि रही।
सामाजिक संदेश
यह मामला केवल एक आपराधिक घटना नहीं, बल्कि समाज के लिए चेतावनी भी है कि बाल विवाह और मानव तस्करी जैसे अपराध अभी भी चुनौती बने हुए हैं। पुलिस की सजगता ने भले ही इस मासूम को बचा लिया हो, लेकिन यह सवाल ज़रूर उठता है – आखिर कब तक मासूमों की ज़िंदगी ऐसी साजिशों का शिकार बनती रहेगी?






