राजस्थान विधानसभा ने पारित किया जबरदस्त विधेयक: अब धोखे और दबाव से होगा धर्मांतरण पर आजीवन कारावास! कमजोर वर्गों की सुरक्षा के लिए कड़ा कानून, सामाजिक सद्भाव का बड़ा कदम!
राजस्थान विधानसभा ने मंगलवार, 9 सितंबर 2025 को एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए “राजस्थान विधिविरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक, 2025” को ध्वनिमत से पारित किया। यह विधेयक प्रदेश में जबरन और कपटपूर्ण धर्मांतरण पर सख्त रोक लगाता है, जो कमजोर व शोषित तबकों की सुरक्षा और सामाजिक समरसता कायम रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
गृह राज्य मंत्री श्री जवाहर सिंह बेढ़म ने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य प्रदेश में सनातन संस्कृति की रक्षा और साम्प्रदायिक सद्भाव बनाए रखना है। उन्होंने बताया कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25 धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान करता है, परंतु इसमें धोखे, प्रलोभन, भय और छल-कपट से धर्म परिवर्तन करने का कहीं समर्थन नहीं है।
विधेयक के प्रमुख प्रावधानों के अनुसार, छल-प्रपंच से धर्मांतरण करने वालों को 7 से 14 वर्ष तक कैद और न्यूनतम 5 लाख रुपए जुर्माना भुगतना होगा। वहीं, अल्पवयस्कों, महिलाओं, अनुसूचित जाति, जनजाति, दिव्यांगजनों जैसे कमजोर वर्गों के धर्मांतरण पर 10 से 20 वर्षों की सजा और 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लगेगा। सामूहिक धर्मांतरण को रोकने के लिए न्यूनतम 20 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास और 25 लाख रुपए जुर्माना सुनिश्चित किया गया है।
विदेशी एवं अवैध संस्थाओं से धन लेकर धर्मांतरण कराने वालों को भी 10 से 20 वर्ष की कठोर सजा और भारी जुर्माना होगा। धमकाकर, झांसा देकर या किसी कुप्रथा के तहत धर्म परिवर्तन करवाने वालों पर 20 वर्ष से आजीवन कारावास की सजा और 30 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जाएगा। जो व्यक्ति पहले दोषी हो चुका हो, उसकी पुनः गिरफ्तारी पर 20 वर्ष से आजीवन कैद और 50 लाख रुपए तक का जुर्माना तय होगा।
इसके अलावा विधेयक के अंतर्गत जबरन धर्मांतरण करने के लिए उपयोग की जाने वाली संपत्तियों की जब्ती की भी व्यवस्था की गई है। कपटपूर्ण या जबरन धर्मांतरण के लिए किए गए विवाह फैमिली कोर्ट अथवा सक्षम न्यायालय द्वारा निरस्त किए जा सकेंगे।
नई व्यवस्था के तहत धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति को जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष 90 दिन पहले स्वेच्छा से सूचना देनी होगी। ऐसा न करने पर 7 से 10 वर्ष तक की सजा और न्यूनतम 3 लाख रुपए का जुर्माना लगेगा। धर्म आयोजनकर्ता या धार्मिक पुरोहित को भी 2 महीने पहले संबंधित अधिकारी को सूचना देना अनिवार्य होगा। उल्लंघन पर 10 से 14 वर्ष की सजा और 5 लाख रुपए जुर्माना होगा।
गृह राज्य मंत्री ने इस विधेयक को समाज में शांति, सद्भाव और कमजोर वर्गों की सुरक्षा के लिए जरूरत बताया। उन्होंने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी विचारों को ध्यान में रखते हुए यह कानून तैयार किया गया है। भारतीय न्यायालयों ने भी अनेक बार जबरन धर्मांतरण को गैरकानूनी और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन माना है।
उन्होंने बताया कि अरुणाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा सहित कई राज्यों में पहले से धर्मांतरण विरोधी कानून लागू हैं। राजस्थान में 2008 में भी ऐसा कानून था, लेकिन अब वर्तमान सरकार ने इसे और मजबूत किया है। अलवर, बांसवाड़ा जैसे जिलों में जबरन धर्मांतरण के घटनाओं पर कड़ी कार्रवाई भी की जा चुकी है।
यह विधेयक राजस्थान के सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करते हुए राज्यवासियों को संवैधानिक धार्मिक आजादी के साथ-साथ धोखे और दबाव से बचाने का मजबूत साधन बनेगा। यह प्रदेश में साम्प्रदायिक सौहार्द और सामाजिक न्याय के लिए मील का पत्थर सिद्ध होगा।






