राजस्थान के जोधपुर में अदालत का बड़ा फैसला—लिव-इन रिलेशनशिप में जन्मी संतान को भी मिलेगा भरण-पोषण, समाज में उठा चिंतन
— मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट-2 प्रवीण चौधरी ने घरेलू हिंसा मामले में जारी किया ऐतिहासिक आदेश
जोधपुर। राजस्थान की न्यायिक व्यवस्था में एक ऐतिहासिक फैसला सामने आया है, जिसमें लिव-इन रिलेशनशिप से जन्मी नाबालिग संतान को भी कानूनी संरक्षण और भरण-पोषण का अधिकार दिया गया है। अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट संख्या-2 प्रवीण चौधरी ने रविवार को घरेलू हिंसा के मामले में पीड़िता और उसकी नाबालिग पुत्री को प्रतिमाह दस हजार रुपये अंतरिम भरण-पोषण देने के आदेश जारी किए। पीड़िता ने अदालत में बताया कि वह प्रेम सिंह के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही थी, इसी बीच एक बच्ची का जन्म हुआ, लेकिन बाद में प्रेम सिंह ने साथ छोड़ दिया। बच्चे और महिला की सुरक्षा के लिए अदालत ने यह राहत प्रदान की।
कानूनी पहलू और सामाजिक सवाल
अदालत में लिव-इन रिलेशनशिप का इकरारनामा भी प्रस्तुत किया गया, जिस आधार पर कोर्ट ने महिला को प्रेम सिंह की पत्नी मानते हुए भरण-पोषण की राशि निर्धारित की। यह फैसला भारतीय समाज और न्याय व्यवस्था में संबंधों की बदली परिभाषा को दर्शाता है। हालांकि, इस फैसले के बाद समाज के बुद्धिजीवियों और अभिभावकों के बीच यह चर्चा तेज हो गई है कि लिव-इन रिलेशनशिप की कानूनी मान्यता भारतीय संस्कृति के लिए चुनौती बन रही है।
सामाजिक चिंता, भविष्य की राह
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की न्यायिक राहत भले ही बच्चों और महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षित करती है, लेकिन सामाजिक व्यवस्था के लिए यह एक चेतावनी है। सवाल उठता है कि ऐसे संबंधों में जन्मी संतान का भविष्य क्या होगा? माता-पिता की जिम्मेदारी है कि बच्चों को सही संस्कार दें और विवाह पूर्व संबंधों से बचाएं। महानगरों में तीव्रता से बढ़ रहे इस ट्रेंड को रोकना अब समाज के सब वर्गों की जवाबदेही है।
जोधपुर का यह फैसला कानून के दायरे में बच्चों व महिलाओं के अधिकारों को सुनिश्चित करता है, लेकिन सामाजिक समरसता और संस्कारों को बचाए रखने के लिए परिवार और समाज को गहन संवाद और जिम्मेदारी दिखानी होगी






