जयपुर, 7 सितम्बर। राजस्थान में स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा अब तेजी से बदल रहा है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की दृष्टि और चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर के नेतृत्व में किए जा रहे नवाचारों ने प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था को एक नई दिशा दी है। ग्रामीण-शहरी, रेगिस्तानी और आदिवासी क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने के साथ ही आमजन में स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की जागरूकता भी बढ़ रही है।
कौन-कौन से बदलाव आए?
निरामय राजस्थान अभियान – इलाज से अधिक निवारण पर ध्यान, हर महीने थीम आधारित गतिविधियों से आमजन को प्रेरणा।
मिशन मधुहारी – टाइप-1 डायबिटीज मरीजों को निःशुल्क इंसुलिन और डायग्नोस्टिक किट उपलब्ध कराई जा रही हैं।
मिशन लीवर स्माइल – युवाओं में बढ़ते फैटी लीवर रोग की रोकथाम के लिए 61 जिलों में क्लिनिक, अब तक 32 हजार से ज्यादा की जांच।
स्तनपान प्रबंधन इकाइयां – शिशु पोषण और मातृ स्वास्थ्य मजबूत करने के लिए पूरे राज्य में 29 इकाइयां।
हीमोडायलिसिस वार्ड – जिला स्तर पर गुर्दे की बीमारी के मरीजों के लिए जीवनरक्षक सुविधा।
आयुष्मान आदर्श ग्राम पंचायत योजना – चयनित ग्राम पंचायतों में स्वास्थ्य सेवाएं, स्वच्छता और जागरूकता पर फोकस।
स्वस्थ नारी चेतना अभियान – 12,300 से अधिक एचआईवी संक्रमित महिलाओं की सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग, 1300 मामलों का आगे इलाज।
राष्ट्रीय औसत से बेहतर प्रदर्शन
विशेषज्ञ मानते हैं कि इन योजनाओं और तकनीकी नवाचारों की बदौलत राजस्थान के स्वास्थ्य मानक राष्ट्रीय औसत से बेहतर स्तर पर पहुँच गए हैं। सस्ती और सुलभ सुविधाएं, निवारक कदम और जागरूकता ने आमजन की सेहत की दिशा में सकारात्मक प्रभाव डाला है।
प्रदेशवासियों का दृष्टिकोण
जहां पहले दूरदराज के लोग गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए जयपुर या बड़े शहरों पर निर्भर रहते थे, वहीं अब उन्हें अपने जिले में ही उपचार और जांच सुविधाएं उपलब्ध हो रही हैं। इससे न केवल समय और धन की बचत हो रही है, बल्कि जीवनरक्षा की संभावनाएं भी बढ़ी हैं।






