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रक्षा सचिव आरके सिंह का कहना है कि एचएएल अगले महीने दो तेजस मार्क-1ए लड़ाकू विमानों की आपूर्ति करेगा

 देश में स्वदेशी रक्षा उत्पादन को गति देने की दिशा में एक अहम कदम के तहत हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) अगले महीने भारतीय वायुसेना को दो तेजस मार्क-1ए लड़ाकू विमान सौंप सकती है। रक्षा सचिव आरके सिंह ने शनिवार को यह जानकारी दी।

रक्षा सचिव सिंह ने कहा कि सरकार पहले दो विमानों की आपूर्ति और उनके हथियारों के पूर्ण एकीकरण के बाद एचएएल के साथ अतिरिक्त 97 तेजस विमानों की खरीद के लिए नया अनुबंध करने पर विचार कर रही है। यह सौदा करीब 67,000 करोड़ रुपये का होगा। उन्होंने कहा, उम्मीद है कि सितंबर के अंत तक हथियारों से पूरी तरह लैस दो तेजस मार्क-1ए वायुसेना को सौंप दिए जाएंगे। इसके बाद ही हम अतिरिक्त 97 विमानों की खरीद पर अनुबंध करेंगे।

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वर्तमान में वायुसेना के पास 38 तेजस विमान 

बता दें कि वर्तमान में वायुसेना के पास लगभग 38 तेजस विमान सेवा में हैं और 80 से अधिक का निर्माण जारी है। फरवरी 2021 में रक्षा मंत्रालय ने एचएएल के साथ 83 तेजस मार्क-1ए विमानों की खरीद के लिए 48,000 करोड़ रुपये का अनुबंध किया था। लेकिन इनकी डिलीवरी में देरी हुई है। मुख्य कारण अमेरिकी कंपनी जीई एयरोस्पेस की ओर से विमान के इंजन की आपूर्ति में समय पर विफलता बताया गया है।

मिग-21 का विकल्प बनेगा तेजस

तेजस मार्क-1ए एकल इंजन, बहु-भूमिका लड़ाकू विमान है, जिसे भारतीय वायुसेना के पुराने मिग-21 विमानों के विकल्प के रूप में तैयार किया गया है। फिलहाल वायुसेना के स्क्वॉड्रन की संख्या घटकर 31 रह गई है, जबकि अधिकृत संख्या 42 है। ऐसे में तेजस विमानों का शामिल होना वायुसेना की ताकत बढ़ाने के लिए बेहद अहम है। 

वायुसेना की रीढ़ बनेंगे तेजस और सुखोई

रक्षा सचिव सिंह ने बताया कि तेजस न केवल वायु रक्षा बल्कि समुद्री निगरानी और हमले के अभियानों को भी सफलतापूर्वक अंजाम देने में सक्षम है। उन्होंने कहा, तेजस और सुखोई वायुसेना की रीढ़ बनेंगे, हालांकि कुछ और प्लेटफॉर्म्स की भी आवश्यकता होगी, ताकि वर्तमान अंतर को भरा जा सके।

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आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम

तेजस का विकास देश की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं का प्रतीक है। स्वदेशी तकनीक, भारतीय रडार और हथियारों के एकीकरण से यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में तेजस न केवल घरेलू जरूरतें पूरी करेगा बल्कि निर्यात के क्षेत्र में भी भारत के लिए नए अवसर खोलेगा। सितंबर में दो तेजस मार्क-1ए विमानों की डिलीवरी भारतीय वायुसेना के आधुनिकीकरण और स्वदेशी रक्षा उत्पादन की दिशा में एक बड़ा मील का पत्थर साबित होगी।

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